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संचयन भाग – 2 – पाठ – 2 – सपनो के से दिन – गुरदयाल सिंह | " प्रस्तुत पाठ में लेखक अपने बचपन के दिनों की और विद्यालय के मास्टर की चर्चा और अपनी बदमाशियों की चर्चा करते हुए कहते हैं कि वे दिन भी कितने सुन्दर थे और आज जब स्वयं अध्यापक बन गया हूँ तो मास्टरों की तब की बातें अब समझ आती है यह बताते हैं l "
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